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Saturday 27 December 2014

अंदाज़-ए-मोहब्बत / काव्यशाला an anthology

अंदाज़-ए-मोहब्बत।

मादक हो, बहुत शोख हो,
तितली से भी ज़्यादा तुम चँचल हो।

कोमल हो, बहुत मासूम हो,
ओस की बूँद से भी ज्यादा नाज़ुक हो।

यह तुम्हारे अलसाये से गेसू,
बेपरवाह हो तुम्हारे रुखसारों पर,
बलखाते है, तो कभी इतराते है।

अपनी शरारती अदाओं से,
हमें भी अक़्सर बहकाते है।

थामता हूँ जब भी तुम्हें,
वक़्त को जैसे पर लग जाते है।

सोचता हूँ रोज़ तुम्हे चूमूँ,
और मेरे इस ख्याल भर से,
ख़ुदा के भी तेवर बदल जाते है।

Saturday 26 July 2014

A Published Anthology निर्झरिका 3/5

गुमशुदा एहसास।

कुछ मेरे एहसास थे जो आज गुमशुदा से हैं,
मुझसे नाराज़ हैं या फिर तुझसे जुदा से हैं,
... बस इस बात का इल्म नही।

जो मचलते थे कभी बखूबी तेरे मिलने पर,
इतराते थे मदमस्त हो तेरी मुस्कान पर,
... अब उनकी परछाई भी नही।

वो एहसास जो मेरे जीने की वजह थे,
तेरे वादों के सहारे जो कभी मचलते थे,
... आज उनका कोई पता ही नही।

वो जज़्बातों का कारवाँ जो दूर तक चला,
कभी अकेले दौड़ा तो कभी साथ चला,
... आज उनका कोई निशाँ तक नही।

Tuesday 15 July 2014

A Published Anthology निर्झरिका 1/5

शुक्तिका प्रकाशन की हिंदी साहित्य विशेषांक "निर्झारिका" में मेरी 5 कविताओं को प्रकाशित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आप लोगों के समक्ष पेश कर रहा हूँ। उम्मीद है पसंद आएगी...

वादों का जनाज़ा।

वादे...जो पुरे न हो सके,
कुछ तुमने किये तो कुछ मैंने किये थे।

वादे...जो मुक़म्मल न हो सके,
कभी वक़्त की कमी रही कभी खुद बहुत रफ़्तार में रहे।

वादे...जो वफ़ा न कर सके,
कभी रिश्तों की पैरवी थी तो कभी खुद रिश्तों से परे थे।

वादे...जो अपना वजूद न पा सके,
कभी जज़्बातों में बह गए तो कभी उनको ही भूल गए।

वादे...जो कभी अपने न हो सके,
कभी एहसासों के साथ थे तो कभी एहसास ही साथ नही थे।

वादे...जो फ़ौलाद न हो सके,
कभी खुद के लिए टूटे तो कभी किसी रिश्ते के लिए।

वादे...जो दम भर भी न जी सके,
कभी आसुओं में बहे तो कभी पन्नों पर स्याही बन बिखर गए।

Monday 5 May 2014

हमें तो लुट लिया मिलके हुस्न वालों ने

This has been written modifying the Original Qawaali Lyric "Humein To Loot Liya Milke Husn Walon Ne".
Since I don't see much Qawaali Lyric in movies, so I have tried to pen it as per my own thoughts and understanding. Hope you would find it interesting & entertaining.



हमें तो लुट लिया मिलके हुस्न वालों ने ..  काले काले बालों ने गोरे गोरे गालों ने .... 


कुछ अपने अंदाज़ में, कुछ अपने अलफ़ाज़ में ...
पेश-ए-खिदमत है :


हमें तो लुट लिया मिलके हुस्न वालों ने
काले काले बालों ने गोरे गोरे गालों ने

निगाहें मिला के जब वो यूँ ही शरमाये
जवां दिलों में जैसे हलचल सी मच जाये
होठों पे उनके हलकी से हंसी जब आये
न जाने कितनो के जवां दिल बहक जाये
चेहरे पे गिरी लटों में से जब झांके
उस अंदाज़ पे कोई कैसे न फ़िदा हो जाये
फिर उसी लटों को चेहरे से हटाये खुद ही
बिना कहे इठला के चल देंगे बस यूँ ही
खुदा बचाए ऐसे आलम से ...
के कई दिल लुट गए ऐसे नजारों में ...

हमें तो लुट लिया मिलके हुस्न वालों ने
काले काले बालों ने गोरे गोरे गालों ने।।

खनकाते हैं अपनी चूडियो को बस यूँही
ताकि नज़र मिलाने को तरसे बस हम ही
फिर अपनी गेसुओं को को खुद ही सुलझाये
ये देख के कोई आशिक कैसे काबू पाए
जो पास जाके कह दे हम हाल दिल का
वो ताउम्र ले लेंगे जवाब सोचने का
पूछती रहेंगी अपनी तारीफ़ के किस्से
जो न बोलो तो रूठ जाएँ फिर तुमसे
खुदा बचाए ऐसे आलम से ...
के कई दिल लुट गए ऐसे नजारों में ...

हमें तो लुट लिया मिलके हुस्न वालों ने
काले काले बालों ने गोरे गोरे गालों ने।।

हुस्न की पैरवी वो ही खुद करते
और इश्क को अपनी क़दमों में ही रखते
जो कह दो के जान हाज़िर है
कह देंगे आज आसमान पाने की ख्वाहिश है
आशिकों का कारवां उन्हें बड़ा पसंद होता
हर तारीफ़ पे उनका नया अंदाज़ होता
न इकरार न तो इज़हार इनका है मिलता
बस आशिकों को बेवजह इनकार है मिलता
खुदा बचाए ऐसे आलम से ...
के कई दिल लुट गए ऐसे नजारों में ...

हमें तो लुट लिया मिलके हुस्न वालों ने
काले काले बालों ने गोरे गोरे गालों ने।।

Wednesday 5 March 2014

ऐसा है इश्क़...।

ऐसा है इश्क़...।

अच्छा मुकाम आया है अब अपने इश्क़ में,
आज यार हुआ है ख़ुदा अपने यार के इश्क़ में।

एक गुलिस्ताँ सा बना लिया है इर्द-गिर्द अपने,
इस क़दर शामिल है ज़िन्दगी में महबूब अपने,
तमाम फिज़ा जैसे डूबी हो रँग-ए-इश्क़ में,
आज यार हुआ है ख़ुदा अपने यार के इश्क़ में।

चिलमन-ए-हुस्न से उसने आज,
आफ़ताबी सा किया है मेरा जहाँ आज,
मिल गयी हो जैसे कायनात मुझे इश्क़ में,
आज यार हुआ है ख़ुदा अपने यार के इश्क़ में।

नाज़ तो उनके ख़ुदा ने भी खूब उठाये होंगे,
सितारों ने भी न जाने कितने किस्से सुनाये होंगे,
हम तो मशगुल रहते है उनके इबादत-ए-इश्क में,
आज यार हुआ है ख़ुदा अपने यार के इश्क़ में।

Sunday 2 March 2014

तेरी काशिश...

तेरी गली का रास्ता कुछ ऐसा है की बेवजह कदम चले जाते है,
हम बेपरवाही में बढे जाते है और तेरे दरवाज़े पर ठहर जाते है।

तुमसे मिलना किस्मत था फ़िर हर मुलाक़ात ज़िन्दगी बन गयी,
अब तुम खुद देखो कैसे तुम्हारी तलब मेरी बंदिगी बन गयी।

हर मौसम का मज़ा दोगुना हो जाता है जब तुम मेरे होठों पर खिलती हो,
तमाम खुशियाँ अंगड़ाई लेती है जब तुम मेरे बाँहों में मचलती हो।

Thursday 6 February 2014

ज़िन्दगी .... एक सफरनामा

Life keeps moving and so we people. Hence, thought to write a journey through which everybody goes in life. Some time you really think that till-date how much or what you have achieved and how much life has given you. Though when we come to this earth, our hands are empty but the fingers form a fist signifying to hold..to survive...& when we are dying, again our hands are empty but this time we have an open palm..signifying you have lived and now its time to leave everything. All these I have tried to say in poetic form...hope you all could relate..& do give your opinions..


ज़िन्दगी .... एक सफरनामा :

थोडा पढ़ा-लिखा और काफी कुछ सीखा ,
ज़िन्दगी को जी , ज़िन्दगी से बहुत कुछ सीखा ..
एक सफ़र जो शुरू किया था ,
घर से दूर हो कर एक मंज़िल को तय किया था ..!
छोड़ के बचपन की गलियाँ ,
वो माँ के हाथों से सजी फूलों की क्यारियाँ ,
चला था एक मुकाम के लिए ..!
छोड़ के लड़कपन का साथ ,
वो पिता के नियमों को तोड़ने की शैतानियाँ ,
चला था उस मंज़िल के लिए ..!

कदम जो रखा नए से शहर की भींड में ,
भूल सा गया था खुद को उस चकाचौंध की नींद में ..
अनजान से शहर में तो कई लोग साथ थे ,
लेकिन सब मग्न थे आगे पहुँचने की होड़ में ..!
सफ़र कटता रहा और ज़िन्दगी बसर होती रही ,
रोज़ की दौड़ धुप में मंज़िल के तरफ कदम बढ़ती रही ..
कभी हार तो कभी जीत से मुलाक़ात होती रही ,
हर मोड़ पे आगाज़ और अंजाम की परछाई साथ चलती रही ..!

एक पल ठहर के सोचा देखूँ क्या हासिल किया अब तक ,
क्या खोया क्या पाया इस ज़िन्दगी में अब तक ..!
आँखें बंद की और मुट्ठियों को खोल दिया ,
सुना आकाश दिखा और हथेली खाली थी अब तक ...!
पूछा खुदा से ये कैसा सफ़र है ,
सब कुछ मिला फिर भी कुछ हासिल क्यूँ नहीं है ..
खुदा ने बस इतना कहा ये ही तो वो ज़िन्दगी है , 
जहाँ तेरी ही ज़िन्दगी तेरी हो कर भी तेरी नहीं है ...!! 

Lot of things came into mind while writing this, not everything was possible to write but still I tried to include every possible thing. Since Life never stops so we have to keep moving with a clear determination & commitment..You never know how far you can reach..may be more than sky..or stars..Keep Rocking..Always!!

Be Blessed & Be Happy!


Pic Courtesy : Self-Clicked

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